नियोग विषय को लेकर भ्रम


infertility

हमारे कुछ मित्र नियोग विषय को लेकर भ्रम में हैं और भ्रम फैला रहे हैं। अपने अज्ञान कारण वे स्वामी दयानंद एवं सत्यार्थ प्रकाश के विषय में व्यर्थ निंदा एवं अपने कीमती समय को वितंडा में नष्ट कर रहे हैं।

स्वामी दयानंद ने नियोग से पहले या तो आजीवन कुंवारा रहने अथवा पुनर्विवाह का विधान भी दिया हैं।

नियोग एक आपत कालीन धर्म हैं जो विशेष परिस्थिति के लिए बना हैं।

आज जो वीर्य बैंक (SPERM BANK) स्थापित हैं नियोग के ही विधान को आधुनिक रूप में ही प्रस्तुत कर रहे हैं।

जैसे वीर्य बैंक केवल निस्संतान दम्पति के लिए होते हैं उसी प्रकार नियोग भी ऐसी ही परिस्थिति के लिये हैं।

संतति न होना अथवा होकर मर जाना विशेष रूप से किसी धर्म विशेष के साथ नहीं हैं।

ऐसा किसी भी हिन्दू, मुस्लिम अथवा ईसाई के साथ हो सकता हैं।

इसीलिए वेद से लेकर पुराण तक, बाइबिल से लेकर कुरान तक सभी में नियोग का विशेष परिस्थितियों में विधान हैं।

इन प्रमाणों को पढ़ने के बाद किसी भी हिन्दू, मुस्लिम अथवा ईसाई के में नियोग को लेकर किसी भी प्रकार की भ्रान्ति नहीं

होनी चाहिये।

महाभारत/पुराण/स्मृति में नियोग के प्रमाण

 

 

व्यासजी का काशिराज की पुत्री अम्बालिका से नियोग- महाभारत आदि पर्व अ 106/6

धृतराष्ट्र व्यास के वीर्य से उत्पन्न हुआ- देवी भगवत स्कन्द 2/6/2

वन में बारिचर ने युधिस्टर से कहा- में तेरा धर्म नामक पिता- उत्पन्न करने वाला जनक हूँ- महाभारत वन पर्व 314/6

उस राजा बलि ने पुन: ऋषि को प्रसन्न किया और अपनी भार्या सुदेष्णा को उसके पास फिर भेजा- महाभारत आदि पर्व अ 104

कोई गुणवान ब्राह्मण धन देकर बुलाया जाये जो विचित्र वीर्य की स्त्रियों में संतान उत्पन्न करे- महाभारत आदि पर्व 104/2

उत्तम देवर से आपातकाल में पुरुष पुत्र की इच्छा करते हैं- महाभारत आदि पर्व 120/26

परशुराम द्वारा लोक के क्षत्रिय रहित होने पर वेदज्ञ ब्राह्मणों ने क्षत्रानियों में संतान उत्पन्न की- महाभारत आदि पर्व 103/10

पांडु कुंती से- हे कल्याणी अब तू किसी बड़े ब्राह्मण से संतान उत्पन्न करने का प्रयत्न कर- महाभारत आदि पर्व 120/28

सूर्ष ने कुंती से कहा- तू मुझसे भय छोड़कर प्रसंग कर- महाभारत आदि पर्व 111/13

किसी कुलीन ब्राह्मण को बुलाकर पत्नी का नियोग करा दो, इनमे कोई दोष नहीं हैं- देवी भगवत 1/20/6/41

व्यास जी के तेज से में भस्म हो जाऊगी इसलिए शरीर से चन्दन लपेटकर भोग कराया- देवी भगवत 1/20/65/41

काम कला जानने वाले व्यास जी को दासी ने संतुष्ट किया- देवी भागवत 2/6/4

भीष्म जी ने व्यास से कहा माता का वचन मानकर , हे व्यास सुख पूर्वक परे स्त्री से संतान उत्पत्ति के लिए विहार कर- देवी भागवत 6/24/46

सूर्य ने कुंती से कहा-भय मत करो संग करो- महाभारत अ। पर्व 111/13

वह तू केसरी का पुत्र क्षेत्रज नियोग से उत्पन्न बड़ा पराकर्मी – वाल्मीकि रामायण किष कांड 66/28

मरुत ने अंजना से नियोग कर हनुमान को उत्पन्न किया – वाल्मीकि रामायण किष कांड 66/15

राम द्वारा बाली के मारे जाने पर उसकी पत्नी तारा ने सुग्रीव से संग किया – गरुड़ पुराण उतर खंड 2/52

बिना संतान वाले की स्त्री बीज लेले- गौतम स्मृति 29

जिसका पति मर गया हैं-वह 6 महीने बाद पिता व भाई नियोग करा दे- वशिष्ट स्मृति 17/486

किन्ही का मत हैं की देवर को छोड़कर अन्य से नियोग न करे- गौतम स्मृति 18

जिसका पति विदेश गया हो तो वह नियोग कर ले- नारद स्मृति श्लोक 98/99/100

देवर विधवा से नियोग करे- मनु स्मृति 9/62

आपातकाल में नियोग भी गौण हैं- मनु 9/58

नियोग संतान के लोभ के लिए ही किया जाना चाहिए- ब्राह्मण सर्वस्व पृष्ट 233

यदि राजा वृद्ध हो गया या बीमार रहता हो तो अपने मातृकुल तथा किसी अन्य गुणवान सामंत से अपनी भार्या में नियोग द्वारा पुत्र उत्पन्न करा ले- कौटिलीय शास्त्र 1/17/52

पति के मरने पर देवर को दे- देवर के आभाव में इच्छा अनुसार देवे – अग्नि पुराण अध्याय 154

राजा विशाप ने स्त्री का सुख प्रजा के लिए त्याग दिया। वशिष्ट ने नियोग से मद्यंती में संतान उत्पन्न की- विष्णु पुराण 4/4/69

बाइबिल में नियोग

तब यहूदा ने ओनान से कहा- अपनी भाई की बीवी के पास जा और उसके साथ द्वार का धर्म करके अपने भाई के लिए संतान जन्मा- उत्पत्ति पर्व 38/8

जब कई भाई संग रहते हो और उनमें से एक निपुत्र मर जाये तो उसकी स्त्री का ब्याह पर गोत्री से न किया जाये-उसके पति का भाई उसके पास जाकर उसे अपनी स्त्री कर ले – व्यवस्था विवरण 25/5-10

यदि देवर नियोग से इंकार करे तो भावज उसके मुह पर थूके और जूते उसके पाव से उतारे- व्यवस्था 25/2

इस्लाम में नियोग

सूरत कलम रुकुअ 1

वलीद घबराया और तलवार खीचकर अपनी माँ से कहा- सच बता की मैं किसका बीटा हूँ? माँ ने कहाँ-तेरा बाप नामर्द था, और तेरे चचेरे भाई की आंखे हमारी जायदाद पर लगी हुई थी, मैंने अपने गुलाम से बदफैली (नियोग ) कराई और तू पैदा हुआ- तफसीर मूज सु 59 और गजिन मतीन सूरत 45

 डॉ विवेक आर्य

Male Infertility is found in almost 40 percent cases of Infertility.

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Posted on April 16, 2013, in Myths and Facts. Bookmark the permalink. 7 Comments.

  1. आपने अच्छा लेख दिया । धन्यवाद !
    नियोग को लेकर आर्य समाज के विद्वानों तथा उपदेशकों के पर्याप्त प्रयास किया है, अत्यंत श्रम किया है – लोगों की इस संवेदनशील विषय संबंधी शंकाओं तथा भ्रान्तियों का समाधान करने के लिए । स्वामी दयानन्द जी ने सत्यार्थ प्रकाश, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका आदि में इस विषय पर अपनी विवेचना प्रस्तुत की है । फिर भी मुझे ऐसा प्रतीत होता है कि इस विषय को और अच्छे प्रकार से लिखा गया होता तो कुछ आक्षेप जो आर्य समाज तथा स्वामी दयानन्द जी पर उनके विरोधियों द्वारा किया जाता है, उनकी सम्भावना कम हो जाती ।
    यह नियोग का विकल्प कब क्रियान्वित किया जाना चाहिए – आदि का क्रमबद्ध विवरण लिखा गया होता और कई वाक्यों को अधिक सावधानीपूर्वक लिखे गये होते तो सम्भवतः इतनी मात्रा में हमें शंका-समाधान करने की आवश्यकता न पड़ती ।
    भावेश मेरजा

  2. उत्तम लेख के लिए धन्यवाद | इससे दिग्भ्रमित महानुभावों के भ्रान्ति निवारण में सहायता मिलेगी |

    • कुरान मैं वलीद बिन मुगीरा प्रमाण हेतु नहीं खंडन हेतु प्रस्तुत किया गया है । वलीद बिन मुगीरा को मुसलमान हरामी ही कहते हैं वह कोई सिद्ध पुरुष नहीं मुस्लिमों का क्षत्रु था

  3. इस्लाम और ‘सूर ए कलम’ का नाम लेकर आप ने जो मिथ्या भ्रान्ति फैलाने का प्रयास किया है वह बौद्धिक ईमानदारी के विरुद्ध और निंदनीय है l आप लोगों के यही कुप्रयास आप की कुत्सित मानसिकता को दर्शाते हैं l हमारे देश के इतिहास में सर्वप्रथम आर्य समाज के जनक और उस से सम्बंधित तथाकथित ‘स्वामियों’ ने ही दूसरे धर्मों, और सब से अधिक इस्लाम के विरुद्ध, घटिया भाष में ज़हरीला दुष्प्रचार करने वाली पुस्तकें लिखीं और नफ़रत फैलाने की सफल – असफल चेष्टा में लगे रहे l यह आप के तथाकथित ‘समाज’ में साझी आस्था के अभाव, साझे प्रमाणित सिद्धातों व उद्देश्यों आदि के अभाव तथा येन केन प्रकरेण उस के अप्राकृतिक अवयवों को परस्पर जोड़े रखने के दुष्प्रयासों से उत्पन्न स्थिति के कारण हुआ l हमें इस से कोई गरज़ नहीं है कि आप के समाज में क्या गंदगी है l हम तो इस्लाम की सच्चाई का सीधा सीधा संदेश देते आये हैं l किसी मुसलमान विद्वान की कोई पुस्तक आप नहीं दिखा पाएं गे जो आप के तथाकथित ‘धर्म’ की कमजोरियों और आप के तथाकथित महापुरुषों की पोल खोलने के उद्देश्य से लिखी गयी हो l परन्तु आप के तथाकथित विद्वानों ने इस्लाम के विरूद्ध झूठी बातें लिखीं (उन को हम उन की अज्ञानतापूर्वक जिज्ञासा मान सकते थे, परन्तु उन पुस्तकों में ऐसी घटिया और भड़काऊ भाषा का प्रयोग मिलता है जो जिज्ञासा या स्वस्थ तर्क वितर्क के विपरीत है l तसलीमा नसरीन और तारिक फ़तेह को आश्रय और सम्मान दे कर अपने मुस्लमान भाइयों को बिना किसी उकसावे के (unprovoked) तकलीफ़ पहुँचने से इस लिए नहीं रुक सकते क्यों कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के विरुद्ध है l वह स्वतंत्रता उन्हें देने के लिए उन्हें विदेशों से बुलाया जाता है l और अपने यहाँ जन कोई बुद्धि जीवी यह हक़ माँगता है तो उस के विरुद्ध ज़हरीला प्रचार आरम्भ हो जाता है l यह शायद इस लिए कि आप जिस ‘महल’ में बैठे हैं उस की नीव बेहद कमज़ोर आधार पर टिकी हुई है l खैर जो भी हो यह आप की अपनी समस्या है l कृपया अपने कमज़ोर आधार को बचने के लिए इस्लाम के विरुद्ध झूठी बातें फैला कर इस्लाम को बदनाम न करें l

  4. Aap log ghalat ko Sahi saabit karne k liey kuchh bhi kar saktey hain. isliey Niyog ko kabhi purano, quran me to k arabi bhasha me dhundhtey hain. Itena toh batao ke, Aap agar Naamard “Aarya” hain toh kya ap abni Biwi ko apney bhaiyon paas bhejengey? Ho sakta hai Aapke pita ji ne bhi iss Niyog ka anusaran kiya ho.

  5. Positive Thinker

    QURA’AN padh to letay ek baar, Jo faltu ka bhram fails rahay Hain QURA’AN k baray may aur QURA’AN key jis soorat ka AAP nay. Naam liya wo padh lijiye dhyan say ek baar nahi hazaar baar padhiye ye sub Jo AAP faltu ka faila rahay Hain ye sub QURA’AN may nahi hai

  6. Kamlesh Kandpal

    उपाय सारे ही मानव कृत हैं, धर्म का चोला डाल कर किसी भी कुप्रथा की सराहना नहीं की जा सकती।

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