दयानंद की गाथा…..
दयानंद की गाथा को हम सब बच्चे मिल गाएंगे ।
वेद ज्ञान को घर-घर में हम जन-जन तक पहुँचाएँगे ॥१ ॥वसुधा में हम वीरव्रती फिर अपना नाम कमाएँगे ।
ब्रह्मचर्य की महिमा को हम समझ चुके अपनाएँगे ॥२ ॥
वेद ज्ञान को घर-घर में हम जन-जन तक पहुँचाएँगे ॥१ ॥वसुधा में हम वीरव्रती फिर अपना नाम कमाएँगे ।
ब्रह्मचर्य की महिमा को हम समझ चुके अपनाएँगे ॥२ ॥
जनता प्रेमी बने सत्य का यही पाठ सिखलाएंगे ।
पाखंडों को दूर हटा हम सही राह अपनाएँगे ॥३ ॥
दुखिया दीन नीच हो कोई सब को गले लगाएंगे।
अखिल विश्व में अमिट प्रेम का पावन भाव जगाएंगे ॥४ ॥
विद्या को हम पढें पढावें उन्नति करते जाएँगे।
धर्माचरण करें सब मानव जीवन सुखी बनाएँगे ॥५ ॥
ओ३म् – ओ३म् मय विश्व पुनः हो यही कर दिखलाएंगे ।
ओ३म् ध्वजा के विजय गीत को जग में फिर गुन्जाएंगे ॥६ ॥
रचयिता – श्री चिंता मणि वर्मा जी संरक्षक आर्य सत्संग मंडल ,मांडले ,म्यांमा (बर्मा)
Posted on July 5, 2012, in poems. Bookmark the permalink. 2 Comments.
aapka yh karya bhut hi sarahneeya hai
Dhanyavaad
9769677927
dhanyavad ji